कुल्थी / Horse Gram
कुल्थी (Horse Gram) हमारे भारत मे इस्तेमाल की जाने वाली एक अतुल्य औषधि है जो कि एक छोटी गोल चपटी डिस्क के जैसे दिखती है। हमारे आयुर्वेदारचर्याओं के द्वारा बताया गया ह की कुल्थी की दाल यदि हम अपने रोजमर्राह के जीवन मे उपयोग करते है तो हम अपने शरीर को बलिष्ठ ओर निरोगी बना सकते है । इसमें अनेक प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते है। और अमरीका की USDA यानी कि united states department of agriculture ने भी यह बात प्रमाणित की है।
आइये जानते है कुल्थी को कैसे ओर कब कब किन किन परेशानियों में उपयोग किया जा सकता है
ओर इसका सेवन विधि भी हम यहीं जानेंगे।
कुल्थी / Horse Gram के लाभ :-
- सर्दी एवं बूखार
- वजन कम करने में उपयोगी
- हृदय रोग में लाभकारी
- पेट के कृमि को नष्ट करने में लाभ
- पेट के घाव भर्ती ह कुल्थी
- मूत्र मार्ग के संक्रमण नस्ट करे
- शीथपत्ति में लाभ
- किडनी की पथरी
- शुगर नियंत्रित करती है
- कॉलेस्ट्रॉल काम करता है।
- स्किन में चमक भदाति है
- कॉन्स्टिपेशन में फायदा करती है।
आदि
1) पथरी (kidney Stone)
कुल्थी / Horse Gram की दाल का रोजाना सेवन पथरी को तोड़कर सरीर से बाहर निकल देता है। आप घर पे इस दाल को किसी अन्य दाल की तरह ही तयार कर सकते है।
घरेलू उपचार के रूप में आप कुल्थी को पथरी के इलाज के रूप में ला सकते है।
इसमे मौजूद फिनोलिक कॉम्पोनेन्ट, फ्लेवोनीड्स, स्टेरॉइड ओर सेपोनिन जैसे के फिघटकर्मिकल्स की उपस्थिति के कारण सइंटुफिक स्टडी ने मूत्र वर्धक ओर एन्टी उरलिथियासिस गुणों की पुष्टि की है। कुल्थी की दाल का रोजाना सेवन आपको पथरी की समस्या से निजाद दिला सकने में समर्थ हौ।
आप कुलयही को किसी अन्य दाल की जैसे भी बना सकते है। या इसके रग भी इस्तेमाल कर सकते है।
1) कुल्थी / Horse Gram को साफ कर रात में एक गिलास पानी मे दाल कर रख दे ।
2) सुबह खाली वेट इस पानी को छान लें और सेवन करे ।
या फिर
200 मल पानी मे 50 ग्राम दाल को डाल दे ओर इसे उबाल लें जबतक की 50 मल न बचे। इस पानी का सव्वन दिन में दो बार करे ।इस तरह से उवचार में आपको 3 से 4 महीने का समय लग सकता है पर यह एक सराहनीय उपचार मन जाता है
2) सर्दी एवं बुखार
सर्दी एवं भुखार की स्तिथि में हमारे शरीर का immunity system कमजोर हिने लगता है ऐसी समय मे यदि हम कुल्थी का सेवन करते है तो हमारे शरीर का immunity system भड़ता है और हमारे शरीर की रोगप्रतिरोफक खसंत भी बढ़ती है।
यदि भुखार काम न हो रहा हो ऐसी परिष्तिथि में यदि भुनी हुई कथि के चूर्ण को सरीर पर धूल या राख की तरह लगाया जाए तो भुखार काम हो जाता है।
3) constipation कब्ज / Smooth digestion (पाचनतंत्र )
आज जल्दबाजी भरे इस जीवन मे हम न तो अपने खान पान का जरा भी ख्याल रख पाते है ना ही अपने शरीर को उसके हिसाब से आराम दे पाते है । बाहर का कहना कहते हुए ( junk food ) जो बड़ी आसानी से ओर स्वादिस्ट भी होता मिल जाता ह ओर हैम बड़े चाव से उसका मज लेते हुए खाते है।
ऐसा करने में हैम पेट का जरा भी ध्यान नही देते और नतीजतन हैम हम अपने हाजमे को खराब कर बैठते है। ऐसी स्तिथि में भी कुल्थी का यदि सेवन किया जाए तो हैम अपने (digestion ) को बहुत ही सरल तरीके से रहक कर सकते है।
इसके लिए हैम कुल्थी की फल को शाम के समय पानी मे भिगो के एक सूती कपड़े में लपेट कर रख देना है और सुबह अंकुरित होने पर इसका सेवन करना है। हैम सभी ये ये जानते है कि अंकुरित आहार एक अच्छा नास्ता भी होता है और हमारे शरीर को बहुत लाभकरी भी हित है।
4) weight loss वजन कम करने में उपयोगी
हमारे आयुर्वेदारचर्याओं द्वारा कहा गया है कि यदि कुलतबी की दाल का हम पावडर के रूप में सेवन करते है तो ये हमारे शरीर मे स्थित अनावश्यक fat को कम करने में हमारी सहायता करता है।
5) हृदय रोगों में कुल्थी / Horse Gram है उपयोगी
हृदय की समस्या से जूझते हुए इंसान यदि कुल्थी के जूस को ज्वार (जौ) से बने खाने के पदार्थों के साथ सेवन करते है तो ये हृदय रोगों में भी उपयोगी है।
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6) पेट मे घाव / Stomach Ulcer
के बार खराब ओर जंक फूड्स जड़ मात्रा में खाने पर हमारे पेट मे दर्द या घाव हो जाते है ऐसे समय यदि कुल्थी / Horse Gram की दाल का सत्तू बनाकर दही के साथ खाने पर पेट के दर्द एवं धौ से निजाद पाया जा सकता है।
7) पेट मे कृमि होने पर / ( stomach warm )
20 – 30 mg कुल्थी / Horse Gram के काढ़े में 60 मिली ग्राम कथि क्षार तथा 60 मिलि ग्राम यवाक्षार मलकर पीने से उदार में कृमि को नष्ट कर देते है।
8) मूत्र मार्ग में संक्रमण / राजोरोध
कुल्थी / Horse Gram के बीजों का कड़ा बनाकर 10-20 मिली ग्राम मावा में पीने से मूत्र मार्ग संक्रमण तथा अश्मरी या पथरी में लाभ इंसान ले सकता है।
इसी प्रकार यह काढ़ा राजोरोध तथा श्वेत प्रदर लिकोरिया(leucorrhea) मासिक विकार तथा शेरतजवर से निजाद पाने में लाभकारी हिता है।
9) शीत में लाभकारी
शीत हमारे शरीर मे लाल लाल दाने या धब्बे हो जाते है जो कि खुजलाते है। ऐसी परिष्तिथि में यदि कुल्थी / Horse Gram या कुल्थी के काढ़े के डेढ़ भोजन किया जाए को शीत्पत्ति से निजात में लाभ मिलता है।
10) खांसी में लाभ
खांसी हो जाने पर भी कुल्थी बहुत लाभकारी है।
खांसी होने पर कथि को भूनकर 2-4 ग्रामकी मात्रा में खाने से खांसी में लाभ प्राप्त होता है।
11)कुल्थी / Horse Gram से रखे diabities को नियंत्रित
Indian Institute of chemical Technology के वैज्ञानिकों के अनुसार असंसाधित (unprocessed) कुल्थी दाल में न केवल एन्टी हैपेरगलेसेमिक गुण होते है बल्कि इसमें इन्सुलिन केप्रतिरोध को कम करने वाले गुण भी होते है। कुल्थी दाल सरीर में भी इन्सुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद करती है। यह कार्बोहाइड्रेट्स को पचाने की दर को कम करने में लाभकारी है। कथि के ऐसे गुणों के कारण यह शुगर को नियंत्रित करने में लाभकारी मानी जाती है।
Side effects
कुल्थी / Horse Gram एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप मे जानी जाती है इसी कारण इसके कोई नुकसान नही है । हाँ यह अवश्य है कि इसके अपने कुछ गुण है जो कि किसी अन्य बीमारी वलए इंसानो के उपयोग में नुकसान देह हो सकते है।
यह बहुत ही पौष्टिक है, लेकिन इसका बहुत अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक मात्रा में सेवन से इसके निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं:
जो लोग ब्लीडिंग से जुडी समस्याओं के लिए दवाएं ले रहे हैं जैसे नाक से खून आना, पीरियड्स में अधिक रक्तस्राव आदि, उनको इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
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जो लोग एनीमिया के लिए दवा ले रहे हैं, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
क्षय रोग, गर्भवती महिला, बांझपन का इलाज करवा रहे पुरुष, हाई ब्लड प्रेशर , उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
हमारी सलाह के अनुसार यदि कोई भी मेडिसिन या दावा अपने सरीर के रोगों के उपचार के लिए यदि ली जाए रो बिना किसी डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य के सलाह के न ली जाए ।